Skip to main content

Posts

Showing posts from January, 2009

गठरी बनकर अपमानित होने को अभिशप्त तिरंगा

15 अगस्त और 26 जनवरी - इन दोनों राष्ट्रीय दिवसों पर आयोजित समारोहों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य होता है ध्वजारोहण. एक दिन पहले संदूक में बंद तिरंगा बाहर निकाला जाता है, झाड़ पोंछकर, इस्त्री करके अलग से रख दिया जाता है. फिर डंडे की खोज होती है, रस्सी ढूंढ़ी जाती है और तलाश होती है ऐसे व्यक्ति की जो झंडे की रस्सी में सही गांठ लगाना जानता हो. अगले दिन सुबह- सुबह बांस या पोल को एक निश्चित जगह पर खड़ा कर दिया जाता है. तिरंगे की गठरी बनाकर उसके अंदर फूल या फिर चमकीले रंग बिरंगे कागजों के टुकड़े भर दिये जाते हैं, तिरंगे की पोटली डंडे के शीर्ष पर रस्सी के सहारे बांध दी जाती है. निश्चित समय पर नेताजी आकर सीधे झंडे के पास जाते हैं, आयोजक उन्हें रस्सी का सही सिरा पकड़ाते हैं, नेताजी उसे झटके से खींच देते हैं. आयोजकों की किस्मत ठीक रही, तो एक ही झटके में तिरंगे की पोटली खुल जाती है, फूल झरने लगते हैं, मुड़ा- तुड़ा, सलवटो से भरा तिरंगा पहले तो सहमा हुआ सा, मायूस दिखलाई पड़ता नीचे लटक जाता है. फिर जब कुछ हवा चलती है, तब वह लड़खड़ाता सा फहराने लगता है. पोल के ऊपर गठरी या पोटली बनकर लटक रहे तिरंगे की दयनीय स्थ...

थोड़ी आंच बनी रहने दो, थोड़ा धुआँ निकलने दो

इस्लामी दहशतगर्दों ने इस विशाल भारत देश के विभिन्न हिस्सों में बार-बार अपनी हिंसक घिनौनी हरकतों से यही कोशिश की है कि हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़कें, मुस्लिम बड़ी संख्या में मारे जाएं, ताकि दुनिया के तमाम मुस्लिम देशों को भारत के खिलाफ एकजुट किया जा सके. दंगे तो नहीं हुए, लेकिन इन आतंकवादियों के खिलाफ भारतीय मुसलमानों की चुप्पी से जनमानस में आशंका गहराने लगी कि स्थानीय मुसलमानों के सहयोग एवं स्वीकृति से ही ये आतंकवादी इतने बड़े हादसे करने में कामयाब हो पाते हैं. आग तो बुझी रही, लेकिन अंगारों पर घी पड़ता रहा. निदा फाज़ली को भी बहुत ही दर्दभरे शब्दों में लिखना पड़ा– उठ-उठ के मस्जिदों से नमाज़ी चले गये, दहशतगरों के हाथ में इस्लाम रह गया. और, अचानक हुआ मुंबई का हादसा, सैकड़ों लोग मरे, हिंदू-मुस्लिम खून साथ- साथ बहे एवं एक साथ उबले. मुंबई के मुसलमानों ने एलान कर दिया कि मारे गए नौ दहशतगर्दों में से किसीको भी मुस्लिम कब्रिस्तान में दफनाने नहीं दिया जाएगा. देश के अन्य शहरों में भी मुस्लिम संस्थाओं ने इनके खिलाफ जुलूस निकाले, नारे लगाए. दिल्ली के शाही इमाम ने कहा कि यह जेहाद नहीं जघन्य अपराध है, उन्होंने भ...