भारत का मूल संविधान हर प्रदेश, क्षेत्र, धर्म, जाति, एवं समुदाय से आए लोगों के गहन विचार- मंथन के बाद निकला अमृतघट था जिसमें बार बार विभिन्न संशोधनॉं के विषाणुओं यानि वायरसों का प्रवेश कराया गया. संविधान की खास बात थी अनुसूचित जातियों के लिये 15% आरक्षण का प्रावधान करके पूर्वजों के पापों का प्रायश्चित करने की कोशिश. अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों को जो आरक्षण मूल संविधान में दिया गया वह तो वाजिब था, पर संशोधनों के रास्ते आए सारे आरक्षण नाजायज और भविष्य में बड़े फसाद की जड़ हैं अनुसूचित जातियों में ऐसे लोग शामिल किये गये जो हजारॉ सालों से अछूत और निकृष्ट समझे जाते थे, जिन्हें गांव के सार्वजनिक कूओं से पानी तक भरने नहीं दिया जाता था, स्कूलों व मंदिरों में प्रवेश वर्जित था, जिनकी परछाईं भी छू जाने से लोग दुबारा नहाते थे लेकिन जिनकी कन्याओं और नवविवाहित बहुओं को रात में उठवा मंगाकर जबर्दस्ती भोगने में कोई ऐतराज नहीं होता था, जिनसे मारपीटकर बेगार कराया जाता था एवं तथाकथित उच्च जातिवालों के सामने बैठ जाना बहुत बड़ा गुनाह माना जाता था. शिक्षा एवं पूंजी के अभाव में वे इस नारकीय चक्रव्यूह...
कुछ कहने की इच्छा, कुछ सुनने का मन - Prabhakar Agrawal