सुनहले भविष्य का सपना आंखों में संजोए 21 वर्ष का होनहार कस्बाई युवा रवि राज शिकार हो गया है बचकानी गफलत का, क्रूर मीडिआ ने उसे कुछ इस प्रकार बार- बार पेश किया है जैसा किसी आतंकवादी को भी नहीं किया जाता. उसके सिर पर कपडा डालकर चारों ओर से उसे घेरकर ढेर सारे पुलिस के जवान कोर्ट में पेश करने के लिये ले जा रहे हैं – दिन में पचास बार इसी दृश्य को दिखलाकर क्या मकसद पूरा हुआ ? कोर्ट में उसपर मुकदमा चलेगा, लंबा भी खिंच सकता है, उसे कुछ होने का नहीं, छूट जायेगा क्योंकि उसने ऐसा कोई अपराध किया ही नहीं. लेकिन शायद पुलिस और मीडिआ का यह व्यवहार उस होनहार लडके को हमेशा के लिये नॉर्मल जिन्दगी से दूर कर दे, लडका डिप्रेशन में भी जा सकता है, आत्महत्या कर सकता है या फिर स्थायी रूप से अपराधों की दुनिया में जा सकता है. एक तरफ तो तिहाड जेल में शातिर अपराधियों को सुधारने के प्रोग्राम चलाये जाते हैं, दूसरी ओर सस्ती सनसनी के लिये इतने नाजुक मामले को पुलिस और मीडिआ इतने क्रूर और नासमझ तरीके से हैंडिल करती है और पूरा देश चस्के लेता है. जो कुछ भी इंटरनेट पर सर्वसुलभ था, उसकी सी. डी. बनाकर उसने बाजी डॉटकॉम पर बे...
कुछ कहने की इच्छा, कुछ सुनने का मन - Prabhakar Agrawal